जलवायु संरक्षण के लिए लैंक्सेस का लक्ष्य, साल 2040 तक होगा शून्य कार्बन उत्सर्जन
दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण से बुरी तरह जूझ रही है। इसके लिए सरकार के साथ-साथ अब कंपनियां भी निपटने की कोशिश में लगी है। इसी के तहत रसायन कंपनी लैंक्सेस ने खुद के लिए जलवायु संरक्षण का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। 2040 तक कंपनी का इरादा जलवायु-तटस्थ बनने याने कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा है और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को आज के तकरीबन 3.2 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड से पूर्ण उन्मूलन करना है।
इससे पहले 2030 तक लैंक्सेस कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के तकरीबन 1.6 मिलियन टन के वर्तमान स्तर की तुलना में 50 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य सुनिश्चित कर चुकी है।
लैंक्सेस के प्रबंधन बोर्ड के चेयरमेन मैथियास जैशर्ट बताते हैं कि 'पेरिस समझौते' के तहत वैश्विक समुदाय ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति पर काबू पाने का निश्चय कर चुका है।
इसके लिए हर सहयोगी की तरफ से व्यापक प्रयासों की दरकार होगी। 2040 तक जलवायु-तटस्थता की प्राप्ति के अपने लक्ष्य के साथ एक वैश्विक विशिष्ट रसायन कंपनी के रूप में हम अपना दायित्व निभा रहे हैं। अगले कुछ सालों में, लैंक्सेस ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए खास परियोजनाओं की शुरुआत करेगी।
फिलहाल 2020 से आप काम करना शुरू करेगी और ग्रीन हाउस गैसों के वार्षिक उत्सर्जन में तकरीबन 150,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड के कमी लाएगी। 2023 में दूसरे प्रसार के बाद कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में फिर से तीन लाख टन की कमी आएगी। इसके अलावा, लैंक्सेस अपने भारतीय कार्यक्षेत्रों में संपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति को नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों पर आधारित कर रही है।
इसी कारण कंपनी जैव संसाधन और सौर ऊर्जा की आपूर्ति को व्यापक स्तर पर बढ़ा रही है और भविष्य में यह अब कोयला या गैस का उपयोग नहीं करेंगी। इससे 2024 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में डेढ़ लाख टन की कमी आएगी। इन परियोजनाओं और अन्य मापदंडों के तहत लैंक्सेस कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन में 2025 तक आठ लाख टन की कमी लाएगी। इसके लिए प्रक्रिया में 100 मिलियन यूरो का निवेश किया गया है।